जय ओली जग तारणहारा । नव सामंत जगत उजियारा ।।
पृथ्वी महेंद्र महा प्रतापी । उनकर रउआ भल पदचापी ।।
पृथ्वी अङुड़ी त्रिभुवन चाटी । महेंद्र तुरलें जन के टाटी ।।
ज्ञानु दल के मेहरी कहलें । खोजी खोजी जन के ढहलें ।।
ते पर राउर महिमा भारी । गोर्खा महाराज अवतारी ।।
पृथ्वी दिव्योपदेश कइलें । हमर मुखड़ा मन से हटइलें ।।
महेंद्र के पंचायत आइल । गोबर गणेश खुबे पुजाइल ।।
बिगड़ल पर्यावरण देश के । तहस-नहस कइलस मधेश के ।।
ओली राउर राष्ट्रवाद के । ठाँव नइखे वादविवाद के ।।
नवसामंती साम्यवाद के । आ कि महाजाल जनवाद के ।।
एमसीसी बा लागल डिगड़ी । देश जलाशय हमनी मछरी ।।
आई यांकी मलहा इहवाँ । हमनी जनता जाएब कहवाँ ?
लमहर पोखर आस बताके । यांकी अघाइ हम के खाके ।।
अहो भाग कोरोना आइल । ओली महिमा जन में छाइल ।।
पोजिटिभ लउकल दुइए-चार । लॉकडाउन में देश हमार ।।
पैदल सइओ माइल रास्ता । कके पहुँचल फँसल जे दस्ता ।।
काठमाड़ो के अटल सुरक्षा । बाँकी के करस दइब रक्षा ।।
विदेशो फँसल जे नेपाली । भूखा पेट त जेबो खाली ।।
संक्रमित बढ़ल हजारो हजार । लॉकडाउन ना देश हमार ।।
जीटुजी में जब कुछ किनाइल । निजिओ से बहुते महङाइल ।।
राहतो के देखनी टिटिमा । खास गरीब के बनत कीमा ।।
राउर कहल बड़ उम्दा लोग । कइलस सत्ता चरम दुरुपयोग ।।
हटलस अपना मंत्री पद से । गिरल जन के नजर के हद से ।।
राउर महिमा कहीं केतना । सहसर जीभ न सके जेतना ।।
सुरासुर सनकादि नरनारी । करता राउर चौकीदारी ।।
सुख ना आन सेवा में भाइ । जो मिले ओली सेवकाई ।।
राजशाही प्रचंड हटाके । ओली सेवी भइलें आके ।।
जे ना करिहें राउर सेवा । से ना तरिहें देके खेवा ।।
मंत्री, हाकिम, पुलिस प्रशासन । जनता दुहते करता शासन ।।
सरकार ना खाद मङवाई । जनता पर लाठी बरसाई ।।
बाँकी तस्करी से फायदा । रहल ई सरकारी कायदा ।।
रउए स्रष्टा रउए द्रष्टा । रउए कर्ता रउए हर्ता ।।
साम्यवाद बा रउए तक ले । जब ले चाहेम तबे तक ले ।।
तिहतर दिन में फ्रांस से हटल । तिहतर बरीस में रुसो पटल ।।
रउआ बानी पाँच बरस ला । सोचेम का अगिला बरस ला ?
राउर सृष्टि राउरे बनके । जइसे चमड़ा होला तन के ।।
रहेम तब ले राउरे रही । मजाल बा केहु कुछिओ कही ।।
करीं उहे जे ओली कहिहें । ना त संकट केहु ना हरिहें ।।
पढ़ी जे ई ओली चालिसा । होई सिद्धि ग्रसी ना निशा ।।
जीवन जे ओली के चेरा । सुख-समृद्धि सदा करी डेरा ।।